Biography of Albert Einstein- अल्बर्ट आइंस्टीन की जीवनी

Biography of Albert Einstein- अल्बर्ट आइंस्टीन, एक प्रमुख भौतिकविद थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E = mc² के लिए जाने जाते हैं। उन्हें सैद्धांतिक भौतिकी, विशेषकर प्रकाश-विद्युत ऊत्सर्जन की खोज के लिए 1921 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।

आइंस्टीन ने विशेष सापेक्षिकता (1905) और सामान्य आपेक्षिकता के सिद्धांत (1916) को अपनी विशेष जानकारी और बुद्धिमत्ता से प्रस्तुत किया। उनके और योगदानों में से कुछ शामिल हैं – सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याएँ, अणुओं की ब्राउनियन गति, अणुओं की परिवर्तनीयता, एक अणु के गैस का क्वांटम सिद्धांत, कम विकिरण घनत्व वाले प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत और भौतिकी के ज्यामितीकरण शामिल हैं।

आइंस्टीन ने 50 से अधिक शोध-पत्रों को लिखा और विज्ञान में अपनी महत्वपूर्ण योगदान दिया। 5 दिसंबर 2014 को, विश्वविद्यालयों और अभिलेखागारों ने आइंस्टीन के 30,000 से अधिक अद्वितीय दस्तावेज और पत्रों की प्रदर्शन की घोषणा की। आइंस्टीन की बौद्धिक उपलब्धियों और अद्वितीयता ने “आइंस्टीन” शब्द को “बुद्धिमान” का समानार्थी बना दिया है।

बचपन और शिक्षा- Childhood and education

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी के वुटेमबर्ग शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। उनके पिता एक इंजीनियर और सेल्समैन थे, और उनकी माँ का नाम पौलीन आइंस्टीन था। वे शुरू में बोलने में कुछ कठिनाइयों का सामना करते थे, लेकिन पढ़ाई में वे बहुत ही उत्कृष्ट नहीं थे। उनकी मातृभाषा जर्मन थी, लेकिन बाद में उन्होंने इतालवी और अंग्रेजी भी सीख ली।

सन् 1880 में, उनका परिवार म्यूनिख शहर चला गया, जहाँ उनके पिता और चाचा ने मिलकर “इलेक्ट्राटेक्निक फ्रैबिक जे आइंस्टीन एंड सी” (Elektrotechnische Fabrik J. Einstein & Cie) नामक कम्पनी खोली, जो बिजली के उपकरण बनाती थी। इस कम्पनी ने म्यूनिख के Oktoberfest मेले में पहली बार रोशनी का प्रबंध भी किया था। आइंस्टीन का परिवार यहूदी धार्मिक परंपराओं का अनुसरण नहीं करता था, जिसके कारण उन्हें कैथोलिक विद्यालय में पढ़ने का मौका नहीं मिला। उन्होंने अपनी माँ के प्रोत्साहना पर सारंगी बजाना सीखा। उन्हें ये पसन्द नहीं था और बाद में इसे छोड़ भी दिया, लेकिन बाद में उन्हे मोजार्ट के सारंगी संगीत में बहुत आनन्द आता था।

1893 में अल्बर्ट आइंस्टीन (आयु 14 वर्ष)
1894 में, उनके पिता की कंपनी को म्यूनिख शहर में विद्युत प्रकाश प्रयोग के लिए आपूर्ति करने का अनुबंध नहीं मिला। इस कारण से उन्हें कंपनी को बेचना पड़ा। व्यापार की खोज में आइंस्टीन परिवार ने इटली की ओर रवाना हो गए, जहाँ वे पहले मिलान गए और फिर कुछ महीने बाद पाविया शहर में बस गए। पाविया पहुंचने के बाद भी आइंस्टीन ने अपनी पढ़ाई को म्यूनिख में ही जारी रखा। दिसंबर 1894 के अंत में, उन्होंने पाविया में अपने परिवार से मिलने इटली की यात्रा की। इस दौरान, उन्होंने “एक चुंबकीय क्षेत्र में ईथर की अवस्था की जांच” नामक एक छोटे से निबंध को लिखा।

1895 में जब वे 16 साल के थे, आइंस्टीन ने ज़्यूरिख में स्विस फ़ेडरल पॉलिटेक्निक स्कूल (जिसे बाद में ईडेनजॉस्से टेक्निशे होचचुले या ईटीएच कहा गया) के लिए प्रवेश परीक्षा दी। उन्होंने परीक्षा के सामान्य भाग में सामान्य स्तर की प्रदर्शन किया, लेकिन भौतिकी और गणित में अद्वितीय अंक प्राप्त किए। पॉलिटेक्निक स्कूल के प्रिंसिपल की सिफारिश पर उन्होंने 1895 और 1896 में स्विट्जरलैंड के आरौ में आर्गोवियन केंटोनल स्कूल (जिसे व्यायामशाला भी कहा जाता है) में अपना माध्यमिक शिक्षा पूरी की। जब वे प्रोफेसर जोस्ट विंटेलर के परिवार के साथ रहे तो उन्होंने विंटेलर की बेटी ‘मैरी’ से प्यार किया।

आइंस्टीन की भावी पत्नी, जिनका नाम ‘मिलेवा मेरिक’ था, ने इस वर्ष पॉलिटेक्निक स्कूल में प्रवेश प्राप्त किया। वह एक 20 साल की सर्बियन थी और इस विद्यालय में गणित और भौतिकी के क्षेत्र में शिक्षा डिप्लोमा कार्यक्रम में छह छात्रों के बीच एकमात्र महिला थी।

आने वाले कुछ वर्षों में, आइंस्टीन और मिलेवा मेरिक की दोस्ती ने एक नए रास्ते का सफर किया और उनके बीच एक रोमांस विकसित हुआ। वे साथ में पढ़ाई करते समय भौतिकी में रुचि लेने लगे और एक साथ किताबें पढ़ने लगे, जिनमें आइंस्टीन ने एक नई रुचि बढ़ाई।

1900 में, आइंस्टीन ने गणित और भौतिकी में परीक्षा पास की और उन्हें संघीय शिक्षा डिप्लोमा से सम्मानित किया गया। इसके परिणामस्वरूप, उनकी शिक्षा में एक नया मोड़ आया और उनका रोमांस न केवल विद्यालय में बल्कि उनके जीवन में भी नए रंग भरने लगा।

विवाह और बच्चे- Marriage and children

आइंस्टीन का विवाह 1903 में हुआ था, जब उन्होंने मिलेवा मेरिक के साथ शादी की। इस दम्पति का पहला बच्चा हंस अल्बर्ट आइंस्टीन 1904 में जन्मा, जो बाद में महान भौतिकशास्त्री बने। उनका दूसरा बेटा एडुअर्ड 1910 में पैदा हुआ, लेकिन दोनों दोनों दंपति अप्रैल 1914 में बर्लिन की ओर चले गए।

आइंस्टीन और मिलेवा मेरिक ने 1919 में तलाक ले लिया, और इसके बाद आइंस्टीन का रोमांटिक आकर्षण उनकी चचेरी बहन एल्सा लोवेनथल की ओर हो गया। विवाह के बाद, एल्सा के साथ उनका संबंध स्थिर रहा लेकिन 1935 में उनकी मृत्यु हो गई।

आइंस्टीन का तीसरा विवाह: 1923 में, आइंस्टीन को बेट्टी न्यूमैन नामक एक सचिव से प्यार हो गया, जो एक करीबी दोस्त हंस मुशाम की भतीजी थी। इस विवाह से उनकी चौथी संतान, एवलिन हुई जो 1934 में पैदा हुई लेकिन उनकी मृत्यु बचपन में हो गई।

आइंस्टीन ने अपने जीवन में कई सारे रिश्तों का सामना किया और अपने पत्रों में इन रिश्तों की चर्चा की। उनका जीवन, संतानें और उनके संबंधों की दृष्टि से एक रूप से विवेचित रहा है।

आविष्कार- Inventions

आइए उनके कुछ प्रमुख आविष्कारों और खोजों को जाने जो इस प्रकार है:

  1. सामान्य सापेक्षता
  2. विशेष सापेक्षता
  3. फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव
  4. ब्राउनियन गति का सिद्धांत
  5. मास और ऊर्जा समता, E = mc²
  6. प्लांक-आइंस्टीन संबंध, E = hf
  7. बोस-आइंस्टीन संघटन
  8. बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी
  9. गुरुत्वाकर्षण तरंग
  10. ब्रह्मांड स्थिर
  11. समष्टि स्वतंत्र सिद्धांत
  12. आइंस्टीन-दे हास प्रभाव
  13. आइंस्टीन-रोज़न तारा
  14. स्टार्क-आइंस्टीन कानून

उपलब्धियों- Achievements

उनकी अनेक उपलब्धियों में से कुछ चुनिंदा उपलब्धियाँ जो प्रमुखता से सामने आती हैं:

सापेक्षता के सिद्धांत-

आइंस्टीन ने विश्वास की भूमि बनाई जिसमें सापेक्षता के सिद्धांत को व्यक्त किया गया है। इस सिद्धांत ने हरमन मिन्कोव्स्की की अंतरिक्ष से अंतरिक्ष-समय के बीच परिवर्तनहीनता की सामान्यीकरण की दिशा में एक नई दृष्टि प्रदान की है। इसके अलावा, उनके द्वारा बनाए गए और बाद में सही पाए गए सिद्धांतों में समानता और क्वांटम संख्या के समोष्ण सामान्यीकरण के सिद्धांत भी शामिल थे।

सापेक्षता के सिद्धांत और E=mc²

आइंस्टीन के “चलित निकायों के बिजली का गतिविज्ञान पर” शोध-पत्र ने 1905 में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की शुरुआत की। इसमें उन्होंने मैक्सवेल के समीकरण और यांत्रिकी के सिद्धान्त के साथ प्रकाश की गति में बड़े परिवर्तन की चर्चा की, जो यांत्रिकी में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया। इस प्रबंध ने बिजली और चुंबकत्व के क्षेत्र में उनके दृष्टिकोण को प्रमोट किया और उनके सापेक्षता सिद्धांत को पहचाना गया।

इस शोध-पत्र में समय-अंतरिक्ष ढाँचे में गतिशील पदार्थ की चर्चा ने एक नए दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया, जिसने यांत्रिकी में एक नई सोच की शुरुआत की। आइंस्टीन ने द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता के सिद्धांत को E=mc² के रूप में प्रस्तुत किया, जिसने भौतिक विज्ञान में एक नया मानक स्थापित किया। इसे 1905 से लेकर विवादास्पद माना गया, लेकिन इसे कई प्रमुख वैज्ञानिकों ने स्वीकारा।

फोटोन और ऊर्जा क्वांटा-

1905 के एक पत्र में, आइंस्टीन ने प्रकाश के विद्युत क्वांटाम की परिकल्पना की, जिससे उन्होंने मैक्स प्लैंक और नील्स बोर द्वारा अस्वीकार किए गए सारे भौतिकविदों को चुनौती दी। रॉबर्ट मिल्लिकन के प्रयोगों और कॉम्पटन बिखरने की माप के साथ, इस परिकल्पना ने 1919 में सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त की।

आइंस्टीन ने स्पष्ट किया कि आवृत्ति (f) की प्रत्येक लहर, ऊर्जा (hf) के प्रत्येक फोटॉन के संग्रह के साथ जुड़ी होती है (जहाँ h प्लैंक स्थिरांक है)। इस परिकल्पना ने भौतिकविज्ञान में नए दृष्टिकोणों की शुरुआत की, लेकिन उन्होंने इसके अधिक विस्तार में जानकारी नहीं दी, क्योंकि उन्हें यह नहीं पता था कि कण और लहरे कैसे संबंधित हैं। यह परिकल्पना बाद में “प्रकाशविद्युत प्रभाव” के नाम से प्रसिद्ध हुई।

आइंस्टीन शास्त्रीय भौतिकी के स्थापित सिद्धांतों को चुनौती देने वाले शुरुआती अग्रदूतों में से एक थे, जिन्होंने समय की पूर्ण प्रकृति को प्रकाश की श्रेष्ठ निरपेक्षता से प्रतिस्थापित किया।

1910 में, उन्होंने ‘आसमान नीला क्यों है’ की पहेली को स्पष्ट किया। इस विषय पर उनके पेपर ने वायुमंडल में व्यक्तिगत अणुओं द्वारा प्रकाश के बिखरने के संचयी प्रभाव की खोज करके महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आइंस्टीन ने ‘प्रकाश के तरंग सिद्धांत’ पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि प्रकाश को कणों के रूप में भी देखा जा सकता है। यह क्रांतिकारी धारणा क्वांटम भौतिकी की आधारशिला बन गई, जिससे उन्हें 1921 में नोबेल पुरस्कार मिला।

1924 में, भारतीय भौतिक विज्ञानी सत्येन्द्र नाथ बोस ने फोटोन की गैस के रूप में प्रकाश पर एक पेपर प्रस्तुत किया और इसके प्रकाशन के लिए आइंस्टीन के सहयोग की मांग की। आइंस्टीन ने अवधारणाओं की जांच करने के बाद, उन्हें परमाणुओं पर लागू करने के लिए विस्तारित किया, और बोसॉन के सिद्धांत की नींव रखी।

1932 में, आइंस्टीन ने, डी सिटर के साथ, अभूतपूर्व अवधारणाओं का प्रस्ताव रखा, जिन्होंने ‘डार्क मैटर’ की प्रारंभिक खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये उपलब्धियाँ भौतिकी के विविध पहलुओं पर आइंस्टीन के स्थायी प्रभाव को दर्शाती हैं।

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